Saturday, December 8, 2018

धर्मांधता


गाय हमारी माता है
हमको कुछ नहीं आता है
धर्म हमारा बाप है
बड़े ही 'चम्पक' आप हैं

'रावण' सारे चिल्ला के कह रहे
मंदिर वहीं बनाएँगे
पूछो तो एक बार राम से
क्या अब भी अयोध्या रह पाएंगे

राम की तिरपाल है भीगी
हिन्दू-मुस्लिम के खून से
मंदिर-मस्जिद जूझ रहे
सांप्रदायिकता के जुनून से

भूखा बच्चा, नंगा फकीर, मरती औरत सड़क किनारे
खाना, कपड़ा और बस दवा ही पुकारे
क्या आएंगे राम? क्या करेंगे वो ऐसा काम?
वो बेचारे बैठे बस राम सहारे

फुटों लंबी मूर्ति, बंदिर बनाओ विशाल
मानूँ तो तुमको तब, जो तुम बदल सको ये बिगड़ा हाल
राम के नाम पर सेंकते सब मतलब की रोटियाँ
वास्तविकता में असुर हो तुम पहने मानव की खाल

जो राम को मानो और राम को सोचो
जो राम को जानो और राम को समझो
भीतर बना लो मंदिर अपने और मूरत सजाओ
इंसान को इंसान समझो, खुद ही क्यूँ ना राम बन जाओ
दाढ़ी, मूंछ, पगड़ी, धोती और जनेऊ का भेद करने वालों
कहाँ लगा कर भेजा है 'उसने' ठप्पा.......
चलो फिर अब सब को दिखाओ  

1 comment:

  1. बहुत खूब कहा, इंसान को इंसान समझो और खुद ही राम बन जाओ

    ReplyDelete